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खेत में नक्शा उकेर देश को बताया अतुल्य, सरकार से मांगा 2100 समर्थन मूल्य

कृषि प्रधान देश में आज जहां ज्यादातर लोग घाटे का सौदा समझकर खेती-किसानी से अपना पीछा छुड़ाने लगे हैं, ऐसे समय में ग्राम मेहंदा के एक युवा किसान ने हौसला दिखाते हुए न केवल खेती को अपना व्यवसाय चुना है, बल्कि इस किसान ने इस वर्ष अपने खेत में अलग-अलग प्रजाति के धान के पौधों से हिन्दुस्तान का नक्शा उकेरकर किसानों की पीड़ा को सरकार तक पहुंचाने की कोशिश की है। सिर्फ इतना ही नहीं, इस किसान ने नक्शे के बीच स्लोगन लिखकर धान का समर्थन मूल्य 2100 रुपए किए जाने की गुजारिश भी सरकार से की है। युवा किसान का मानना है कि उसकी यह मेहनत जरूर रंग लाएगी और इस प्रयास से प्रदेश के लाखों अन्नदाताओं का भला होगा। जांजगीर-चांपा जिले के नवागढ़ विकासखंड के अंतर्गत ग्राम मेहंदा की पहचान खेती-किसानी के कारण आज छत्तीसगढ़ राज्य ही नहीं, बल्कि आसपास के कई प्रदेशों में बन चुकी है। छोटे से इस गांव के कई किसान नई पद्धति से खेती कर धान का बम्पर उत्पादन करते हैं। उन्हीं किसानों में से एक संदीप तिवारी भी हैं, इनकी अपनी विशिष्ट पहचान है। इस युवा किसान ने इस बार अपने खेत में धान के विभिन्न प्रजातियों के पौधों से भारत का मानचित्र तैयार किया है, जिसकी क्षेत्र में इन दिनों खूब चर्चा है। खेत के पास से गुजरने वाले हर शख्स की एकबारगी नजर भारत के मानचित्र की ओर जरूर पड़ती है। खेत के बीचों-बीच उकेरा गया मानचित्र भले ही सामान्य लगता है, लेकिन युवा किसान तिवारी ने उस मानचित्र के जरिए प्रदेश के लाखों किसानों की प्रमुख मांग यानी धान का समर्थन मूल्य 2100 रुपए किए जाने की बात केन्द्र और राज्य सरकार तक पहुंचाने की कोशिश की है। संदीप ने गांव के ही अपने कुछ साथियों के साथ तीन से चार दिन तक मेहनत के बाद रोपाई पद्धति से धान लगाकर खेत में भारत का नक्शा उकेरा है। करीब एक एकड़ के इस खेत में संदीप ने धान के पौधों से ही समर्थन मूल्य में वृद्धि करने का स्लोगन लिखा है। नक्शा और स्लोगन तैयार करने के लिए उन्होंने काले रंगों वाली बारीक प्रजाति की श्यामला तथा एचएमटी धान का उपयोग किया है। युवा किसान संदीप ने बताया कि वे पिछले सात-आठ वर्षों से खेती कर रहे हैं, लेकिन हर वर्ष उनकी यही कोशिश रहती है कि कृषि के क्षेत्र में कुछ नयापन हो। इस मकसद को ध्यान में रखकर वे धान की बोआई करते हैं। तिवारी ने बताया कि कृषि कार्य में दिनों-दिन लागत बढ़ती जा रही है, जिसके मुताबिक किसानों को आर्थिक लाभ नहीं मिल रहा है। धान खरीदी का समर्थन मूल्य 2100 रुपए किए जाने की मांग पुरानी है, जिसके पक्ष में स्वामीनाथन कमेटी ने अपनी अनुशंसा कर दी है, वहीं उच्चतम न्यायालय ने भी सभी सरकारों को आदेशित किया है, बावजूद इसके केन्द्र और राज्य सरकार कोई पहल नहीं कर रही है। ऐसे में सरकार के समक्ष अपनी मांग पहुंचाने के लिए उन्होंने इस अंदाज को बेहतर मानते हुए धान की फसल लगाई है। संदीप का कहना है कि उनके खेत में नहीं, दिल में भी हिन्दुस्तान के प्रति अगाध प्रेम है। इसीलिए भूमिपुत्रों की समस्याएं दूर करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।

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