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खेत नहीं, दिल में भी बसता है हिन्दुस्तान


विश्वविद्यालय से तमाम डिग्रियां हासिल करने के बाद भी कृषि कार्य को अपना व्यवसाय बनाकर युवा किसान संदीप तिवारी ने नई पद्धति से खेती करते हुए देश और समाज में मिसाल पेश की है। कृषि प्रधान देश में ही आज ज्यादातर लोग घाटे का कार्य समझकर खेती-किसानी से अपना पीछा छुड़ाने लगे है, ऐसे समय में ग्राम मेहंदा के युवा किसान संदीप ने हौसला दिखाते हुए खेती को ही अपना व्यवसाय चुना। इस युवा किसान ने इस वर्ष धान की फसल में हिन्दुस्तान व छत्तीसगढ़ का नक्शा उकेरा था, जिसे देखने के बाद लोग उनकी तारीफों के पुलिंदे बांधते नहीं थक रहे थे। खरीफ फसल में धान बोआई से पहले ही खेती के क्षेत्र में कुछ नयापन लाने की बात संदीप के मन में सूझी और उसे अंजाम तक पहुंचाने के लिए उन्होंने गांव के जगदीश साहू, भारत यादव तथा दुकालू यादव का सहयोग लिया। संदीप ने अपने साथियों के साथ 3 से 4 दिन तक मेहनत के बाद रोपाई पद्धति से धान लगाकर दो खेतों में भारत व छत्तीसगढ़ का नक्शा उकेरा। 80 डिसमिल के एक खेत में संदीप ने धान के पौधे को छत्तीसगढ़ के नक्शे के आकार में रोपाई, जिसमें जय जवान, जय छत्तीसगढ़ का स्लोगन भी लिखा। नक्शा तैयार करने के लिए उन्होंने काले रंगों वाली बारीक प्रजाति की श्यामला तथा स्लोगन के लिए सुवर्णा धान के पौधों की रोपाई की। इसी तरह एक एकड़ भूमि पर लगी फसल में भारत का नक्शा उकेरने के लिए मुख्य फसल सुवर्णा का लिया, जिसमें जय भारत स्लोगन बनाने के लिए श्यामला धान के पौधे लगाए। धान के पौधों के बढ़ने के बाद दोनों खेतों में छत्तीसगढ़ व भारत का नक्शा तथा स्लोगन स्पष्ट नजर आने लगा, जिसे वहां से होकर गुजरने वाले लोग देखते और इस कलाकार के नए प्रयोग की तारीफ करते। नई विधि से खेती करने के लिए संदीप को कृषि विज्ञान केन्द्र जांजगीर के वैज्ञानिक मनीष कुमार व उद्यानिकी विभाग के श्री रोहिदास का भरपूर सहयोग मिला। श्री तिवारी ने बताया कि खेत में नक्शा उकेरने के कारण उन्हें धान कटाई में थोड़ी परेशानी जरूर हुई, लेकिन इस बात पर उन्हें प्रसन्नता है कि उनके इस प्रयोग को देखने के बाद लोगों के मन में कृषि के क्षेत्र को अपनाने की ललक पैदा हुई है। प्रारंभ से ही खेती किसानी में रूचि रखने वाले संदीप ने बीकॉम, एलएलबी व एमए की पढ़ाई पूरी करने के बाद भी कृषि के क्षेत्र में ही अपना भविष्य बनाने की ठान ली। पढ़ाई के दौरान वे कृषि कार्य की बारीकियांे को अपने पिता सुरेशचंद्र तिवारी से सीखने लगे। वे जब भी अपने नाना राजेन्द्र प्रसाद शुक्ला के यहां ग्राम कुम्हारी जाते थे, वहां खेती किसानी के विषय में चर्चा कर आवश्यक जानकारी जुटाते थे। इस कार्य में उनके मामा सुनील शुक्ला और अजय शुक्ला ने भी पूरा सहयोग किया। कृषि जगत में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने के लिए संदीप ने 8 वर्ष पूर्व किसानी के क्षेत्र में पहली बार अपना कदम रखा। उस वक्त संदीप के लिए खेती-किसानी का काम काफी परेशानी भरा रहा। बावजूद इसके खुद के आत्मविश्वास और परिजनों के हौसले से धान बोआई कराकर संदीप ने अच्छी फसल अर्जित की। इसके बाद वे हर साल कुछ नया करते रहे। दो वर्ष पूर्व उन्होंने बीज विकास निगम से हाइब्रिड बीज खरीदकर खेती की, जिसमें भारी सफलता मिली। इससे संदीप के हौसले और बुलंद होने लगे तथा खेती किसानी के काम में वे पारंगत हो गए। संदीप का कहना हैं कि मेरे खेत में नहीं, दिल में भी हिन्दुस्तान के प्रति अगाध प्रेम है, इसीलिए भूमिपुत्रों की समस्याएं दूर करने के लिए हमेशा तैयार रहता हूं। वे कहते हैं कि औद्योगिकीकरण से होने वाली हानि पर फोकस डालने के लिए अगली बार खेत में धान की फसल से पावर प्लॉट व उससे निकलने वाले धुएं को नक्शे के रूप में उकेरेंगे। निःसंदेह आने वाले दिनों में यह युवा किसान हर किसी के लिए प्रेरणादायी होगा।

2 टिप्पणियाँ:

जानकारी भरा लेख...
युवा किसान संदीप के बारे में जान कर प्रसन्नता हुई. उनसे युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए.

 

सम्माननीया डॉ (सुश्री) शरद दीदी,
आशा करता हूं कि बड़ी बहन के नाते आप अपने छोटे भाई यानी मुझे हमेशा स्नेह के साथ सुझाव देती रहेंगी।

 

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