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तालाब विवाह की परंपरा आज भी जारी

0 केरा में 12 जून को होगा तालाब विवाह
0 गांव से बैण्ड बाजे के साथ निकलेगी बारात

तालाब विवाह की लुप्त होती परंपरा को बचाए रखने के लिए जांजगीर जिले के आदर्श ग्राम पंचायत केरा के लोगों ने अनूठा प्रयास किया है। इसके लिए ग्रामीणों ने बकायदा जोर-शोर से तैयारियां की है। पंडित व बारातियों को न्यौता भी दिया गया है। रविवार को यहां पंडित की मौजूदगी में मंत्रोच्चार के साथ विधि-विधान से तालाब का विवाह कराया जाएगा।

तालाबों की संख्या दिनों-दिन घटती जा रही है, लेकिन आज भी कुछ ऐसे गांव हैं, जहां तालाब के पानी का उपयोग निस्तार के अलावा पीने के लिए किया जाता है। वहां के लोग विवाह हुए बिना तालाब का पानी हाथ तक नहीं लगाते। इसी परंपरा को कायम रखते हुए आदर्श ग्राम केरा में रविवार को गांव से बैण्ड बाजा के साथ बारात निकालकर तालाब का विवाह कराया जाएगा, जिसके साक्षी गांव भर के लोग रहेंगे। तालाब विवाह के पूर्व आज सुबह गांव में कलश यात्रा निकाली गई, जो चण्डी मंदिर से प्रारंभ होकर गांव का भ्रमण करते हुए रनसगरा तालाब पहुंची। 12 जून को देवपूजन, हरिद्रालेपन, स्तंभपूजन के साथ विवाह संपन्न होना है। वहीं 13 जून को सहस्त्रधारा, ब्राह्मण भोज का आयोजन भी रखा गया है। सरपंच लोकेश शुक्ला ने बताया कि तालाब का गहरीकरण कराकर उसमें खंभा लगाया गया है, जिसके साथ आचार्य विनोद पाण्डेय, अजय पाण्डेय रविवार को तालाब का विवाह कराएंगे। विवाह कार्यक्रम में गांव भर के लोगों को आमंत्रित किया गया है। बारात के दौरान बैण्ड बाजा की धुन पर बाराती थिरकेंगे व आतिशबाजी भी की जाएगी। केरा के ग्रामीणों ने बताया कि तालाब खुदवाना पुण्य का काम माना जाता है। तालाब यदि व्यक्तिगत उपयोग के हों तो पूजा करना जरूरी नहीं होता, लेकिन सार्वजनिक तालाबों की पूजा जरूरी है। इसमें देवताओं को साक्षी मानकर अपने पर्यावरण के कर्ज को उतारने जैसा लोकार्पण का भाव रहता है। विवाह के पहले जलदेवता वरुण का यूप या स्तंभ प्रतिष्ठित किया जाता है, जो सरई या साल की लकड़ी का होता है। मगर आजकल सीमेंट का स्तंभ लगाकर प्रतिष्ठा संस्कार पूर्ण कराया जाता है।

इस संबंध में आचार्य पंड़ित शारदा प्रसाद द्विवेदी ने बताया तालाब विवाह राजस्थान से आई परंपरा मानी जाती है, जिसमें स्तंभ को पति का प्रतीक माना जाता है। छत्तीसगढ़ के गांवों में कुओं के भी विवाह होते हैं। विवाह के समय पूरे तालाब को सात बार सूत से बांधा जाता है तथा गौदान किया जाता है। तालाब विवाह में प्रतीक स्वरूप स्तंभ गाड़ने की परंपरा तो है ही, लेकिन इन स्तंभों से पानी के स्तर का भी पता लगता रहता है। बहरहाल आदर्श गांव केरा में तालाब विवाह को लेकर उत्सव का माहौल बना हुआ है, वहीं आयोजन को सफल बनाने में ग्रामीण तन्मयता से जुटे हुए हैं।

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